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Saturday, March 24, 2018

सिख राज: इतिहास के पन्नो से

देखना कही शोर मे अपना इतिहास न भूल जाना : आज के दिन हमारे पुरखो ने "लाल किले" पर खालसाई परचम लहरा
के दिल्ली  #फतेह किया था

11 मार्च 1783 को सरदार बघेल सिंह की अगवाई मे लगभग 30,000 हथियारबंद सिक्खों ने दिल्ली पर फतेह दर्ज कर #लाल किले पर खलसाई झंडा  लहराया था ।
 
उस के बाद सुल्तान-ऐ-कौम सरदार जसा सिंघ  #अलुवालिया को दीवान-ऐ-आम के तख्त पर बिठाया गया । फिर उस के बाद  मुगल बादशाह शाह  आमल-2 और सिक्खों के बीच समझौते की बात चली । सरदार बघेल सिंह ने सिक्ख गुरूओ से संबंधित इतिहासिक जगहों के ऊपर गुरुद्वारे बनाने का फैसला किया,और मुगल राज दी कुल आमदन का 12.5% टैक्स सिक्खो को भरने का इकरार किया गया ।सरदार बघेल सिंह अपने 4000 हथियारबंद घोड़सवार  सिक्खों के साथ लगभग 8 महीने दिल्ली सब्जी मंडी इलाके में रुके और दिल्ली के प्रशाशन को अपने हाथों में  ले लिया । उन्होंने सिक्ख गुरुओं से संबंधित 7 जगहों की निशानदेही की और सिर्फ 8 महिनो में गुरद्वारों की उसारी की ।। जिस में  गुरुद्वारा सीस गंज साहिब, गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब, गुरुद्वारा बंगला साहिब, गुरुद्वारा बाला साहिब, गुरुद्वारा मंजू का टिल्ला, गुरुद्वारा साहिब मोतीबाग, गुरुद्वारा साहिब माता सुंदरी शामिल है ।

  सरदार बघेल सिंह ने 8 महीने दिल्ली पर राज किया । सरदार बघेल सिंह के हथियारबंद घोड़ सवार सिक्ख दिन- रात दिल्ली की सड़कों पर पहरा देते हुए हर ऐक पर नजर रखते थे। दिल्ली के लोगो को अमन कानून का वो नज़ारा देखने को मिला जो उन्होंने पहले कभी नही देखा था । लोग चाहते थे कि सरदार बघेल सिंह दिल्ली'में का बादशाह बन कर रहे और सरदार बघेल सिंह के पास इतनी ताकतवर  फ़ौज थी कि अगर वो चाहते तो राज कर सकते थे, पर वो अपने इकरार में रहे और दिसम्बर 1783 में वापस पंजाब आ गए ।

        हिंदी तर्जमा
     
     
   भाई इंदर सिंह घग्घा जी         
      की दीवार से धन्यवाद सहित । 🙏🙏

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